Vinita gupta

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नरसिंह जयंती

नरसिंह जयंती 
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नरसिंह का तुमने रूप धरा, 
पापी को सीख सिखाने को।
वो शक्तिमान जो दर्प भरा,
चीर दिया अभिमानी को ।।

आतंकी पशु, क्रूर राक्षस,
निर्बल की बली चढ़ाता था,
हरी नाम सुमिरन करने पर,
पर्वत से लुढ़काता था,
छोड़ा नहीं पुत्र को अपने,
 कसर यातना ढाने को।
नरसिंह का तुमने रूप धरा,
पापी को सीख सिखाने को।।

था चौथा अवतार तुम्हारा,
हरने धरती की करुण व्यथा,
भेज दिया प्रहलाद को तुमने,
पुत्र बना हरि नाम यथा,
बैठा दिया होलिका संग में
अग्नि में जल जाने को।
नरसिंह का तुमने रूप धरा,
पापी को सीख सिखाने को।।

बैसाख शुक्ल तिथि चतुर्दशी,
प्रदोष काल वह पावन था,
संघार किया हिरणाकश्यप,
रूप बड़ा मनभावन था,
अवतार धरा करते हैं प्रभु,
 भक्तों को सदा रिझाने को।
नरसिंह का तुमने रूप धरा,
पापी को सीख सिखाने को।।
वो शक्तिमान जो दर्प भरा,
चीर दिया अभिमानी को।।

विनीता गुप्ता छतरपुर मध्य प्रदेश स्वरचित मौलिक, सर्वाधिकार सुरक्षित

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2 Comments

Gunjan Kamal

03-Jun-2024 02:42 PM

👏🏻👏🏻

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hema mohril

23-May-2024 10:34 AM

Amazing

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